Saturday, April 18, 2015

लो चली मैं
अपने भाई की बारात लेकर। ....
भाई, जिसे आता है ज़िंदगी की आग में से भी जीवन बचा लेना।
उसने गार्टन कैसल,(शिमला) में लगी भयानक आग के मलबे से भी बचा लिए थें कीमती सरकारी कागज़ात
सरकार ने सम्मानित किया इसके लिए वीरता पुरस्कार से …

भाई , जिसने इक्कीस बरस की उम्र में पापा के न होने से घर की जिम्मेदारियाँ निभायी
बड़ी बहन के ब्याह की जिम्मेदारी निभायी ,उसे ससुराल भेजा ,फिर
ससुराल में जब उसे मार दिया गया तो बहनोई को जेल भेजा और सजा दिलवाई …
भाई, जिसने माँ की ख़ातिर पहाड़ की नौकरी छोड़ दी क्योंकि
अस्थमा के कारण उन्हें पहाड़ पर दिक्कत रहती, और
अकेले वह उन्हें छोड़ना नहीं चाहता। ....
भाई ,जब नहीं था तब दस बरस की उम्र तक
राखी के दिन बाबा बनखण्डीनाथ के मंदिर के सामने दुआ करती थी
एक भाई देने के लिए। ....
अब उसी की बारात है तो इस बार किताब के मेले नहीं जा रही
बारात लेकर जाना है। …

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