Saturday, April 18, 2015

स्किप प्राइम टाइम
ज़िंदगी नहीं है प्राइम टाइम
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आईने के सामने कुछ देर ठहरो, तो
वक़्त की बाहें गले से लिपटी मिलती हैं
शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम का निमंत्रण लिए
मोबाइल फ़ोन में कोई पसंदीदा गाना बजता है

खिड़की से नन्हें चूजों की आवाज़ें चहचहाती हैं, तो
उनकी गंध को लाती हवा से नाक भी सिकुड़ती है
धूप की मुस्कान से पहले चाँद सैर पे निकला है
मेरी खिड़की के सामने से गुजरते हुए अपनी
शीतलता और दिन की दहक का अंतर बताता है
ज़िंदगी प्राइम टाइम तो नहीं है आख़िर। …
प्राइम टाइम जो हमेशा अलर्ट रखे !!
बिखर भी जाओ खुद के कंधों पे
गीले गेंसुओं की मानिंद कुछ देर
वक़्त ढुलक जायेगा पीठ पर
खुद ब खुद किसी सिहरन सा !
प्राइम टाइम को स्किप करने का हुनर
ज़िन्दगी सीख गयी है खुद ब खुद
अच्छा वक़्त भी आयेगा खुद ब खुद
केवल ठहरो जरा आईने के सामने!!

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