Monday, November 29, 2010

कबूलनामा



लड़कियों के लिए अच्छा समय है.पुरानी पीढ़ी अपनी गलतियाँ कबूल कर रही है .नए लड़कों के लिए चुनौती का समय है. यह टूट फूट का समय है . विशुद्ध प्रेम और मानवीय मूल्य संवेदना की कसौटी है. नयी पीढ़ी अधिक संवेदनशील है. मानवीय  रिश्ता  प्रचलित रिश्तों से ऊपर है. सांस्कृतिक परिवर्तनों से विचलित होने की अपेक्षा स्वीकार कर लेना ही श्रेयस्कर है.  अशोक बाजपेयी  पत्नी रश्मि के लिए अपनी गलती कबूल करते हैं . ह्रदयेश जोखिम में  अपनी पत्नी के लिए दुखी हैं . रामशरण जोशी भी पापों का कबूलनामा करते हैं ......और भी नाम हैं ...भविष्य में होंगे. नया पुरुष मुस्कुराकर कुढेगा.आखिर पूरे जीवन भर  पापों से बचने की खाई जो खुदने लगी है.