मेरे एक टीचर थे जिनकी पत्नी का देहांत हो चुका था। वे जब भी नया सूट सिलवाते थे तो पहनने के पहले ही जो भो कोई घर में आता उसे हैंगर में टंगे-टंगे ही दिखाकर पहले नये सूट की प्रशंसा सुनते। फिर पहनते तो बताते कि इसका चुनाव करने से पहले कितनी दुकानें देखीं और कितने रंगों में से यह चुना है। एक बार तो नया चाकू लाये थे तो उसे भी अपने घर आने वाले विद्यार्थियों को दिखाकर दाम भी बता डाले। अपनी बातें बताने का उन्हें बहुत शौक था। आज जब लोगों को फेसबुक पर सबकुछ शेयर करते हुए देखती हूँ तो उनकी याद आ जाती है। फेसबुक कुछ लोगों के लिए बहुत ही गंभीर बहस का मंच है तो कुछ लोग बहुत ही लाइट मूड में गाना ,खाना, घूमना ,सोना ,सब कुछ बता डालते हैं। कभी- कभी तो बहुत ही रोमांचक लगता है जब कोई बताता है कि उपन्यास का प्लाट दिमाग में चल रहा है या कहानी अभी-अभी पूरी हुई है या लेख कल तक पूरा हो जायेगा।मेरी कहानी का कुछ अंश देखिये ,राय दीजिये।लम्बी कविता का अंश प्रस्तुत है।ग़ज़ल प्रेमी निराश न हों यहाँ शेर बाज़ार भी है। मेरी किताब चार पांच दिन में आने वाली है।लीजिये पुस्तक आपकी सेवा में प्रस्तुत है। किताब की समीक्षा छपी है यहाँ इस लिंक पर पढ़ लीजिये।मैं कल एक कार्यक्रम में गया था ओह आप जा आ नहीं सके कोई बात नहीं रिपोर्ट यहाँ प्रस्तुत है पढ़ लीजिये।फोटो लिंक भी है भीड़ देखकर कार्यक्रम की सफलता का अंदाज़ा लगा लीजिये।अरे आज टीवी पर मेरा कार्यक्रम आएगा ..आपने देखा नहीं ,कोई दुःख नहीं आप बच नहीं सकते ..लिंक यहाँ दे रहा हूँ। मेरे एक मित्र ने सुबह-सुबह का अखबार पढना छोड़ दिया है उसका कहना है कि हर महत्वपूर्ण खबर फेसबुक पर पूरे विश्लेषण के साथ मज़ेदार टिप्पणियों के साथ मिलती है। एक मित्र को अपना खोया हुआ गाना फेसबुक पर मिल गया। यह कितना स्वास्थ्यवर्धक और पर्यावरण के लिए अच्छा है जब केक खाने कि जगह सिर्फ देखकर ही ख़ुशी मिल जाये और फूल तोड़े बिना ही पुष्प गुच्छ पहुँच जाए। कई साफ़ गोया दिल दिमाग का सारा ग़ुबार चैनल,मीडिया,सरकार सभी पर एक साथ निकालकर निवृति पाकर निश्छल जीते हैं। यह एक ऐसा नुक्कड़ बन चुका है जो फ़कीराना मस्ती के साथ हर वक़्त जेब में छंछ्नाता खनखनाता रहता है। उदास पड़ा मन भी यहाँ गुनगुनाता रहता है।राग रंग का शऊर यहाँ बिखरा पड़ा है।हर चेहरा यहाँ कुछ बोलता हुआ सुर्ख है। हर कान यहाँ आँख बन चुका है।गज़ब की जुगलबंदी में शामिल हुए लोग तीसरी आँख से दूसरी दुनिया में झांककर ताली पीटकर लौटते हैं और अपने जीवन में ताली लगाते हैं। ......... ........होली निकट है एक रंग यह भी शामिल करें। .......
(कोई अति संवेदनशील मित्र इसे व्यक्तिगत लेकर बुरा न मानें यह फेसबुक होली है ,सिर्फ सुखद भावनाओं का आनंद लें )
कंचन भारद्वाज