Saturday, July 27, 2013

मेरे सपनो की रानी
_________________________________________

अपने साथ पढ़ने वाली तेज- तेर्रार ,साहसी,
बुद्धिमान और प्रखर-मुखर लड़की को देखकर
लड़के की आँखों में चमक और
होठों पर मुस्कान दौड़ गयी ……

यह उसके सपनों की लड़की थी
दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो
दोस्त बनते- बनते दोनों
प्रेमी- प्रेमिका बन गये

प्रेमिका होने में भी
साहस और मेहनती होने की दरकार को
निभाया उस लड़की ने।

पढ़ाई करती ,पार्ट टाइम नौकरी करती
अपना और बॉय फ्रेंड का खाना बनाती, कपड़े धोती।
अपनी पढ़ाई का ध्यान कम हुआ
लेकिन लड़का बड़ा अफसर बन गया

लड़के ने लड़की को गुड बाय कहा !!!

नहीं नहीं ,
शायद … उन दोनों ने परिवार की मर्जी के बिना विवाह किया ……….

परिवार समझदार होते हैं अक्सर
लड़के को माफ़ किया और उसके साथ रहने लगे
लेकिन बहू को साथ रखने की स्वीकृति नहीं दी ……

लड़की का साहस और मेहनती होने का स्वभाव जारी था
वह दूसरे शहर में नौकरी करती अकेले रह रही थी
लड़का अब भी उसके साहस पर गर्व से निहाल था ….………

लड़का अब पति की तरह
महीने में एक बार उसके पास आता
वह पत्नी की तरह निहाल होती,
लेकिन साहस अब ढलान पर था
अक्सर उसकी प्रखरता ,मुखरता
बुदबुदाहट में बदलने लगती ……………

एक दिन चलते -चलते
कोर्ट के आगे ठिठक गयी और
उसका साहस खिलखिला उठा …
पहले प्रखर और मुखर नोटिस गया,
फिर लड़की खुद पत्नी का अधिकार लेकर
सामान के साथ पहुँच गयी पति के पास ……

लड़का आज पत्नी के साहस पर हैरान होकर
निहाल होने की जगह निढाल होकर गिरने लगा
कि मेहनती, साहसी लड़की ने उसे थाम लिया
लड़का कुछ देर में होश में आया तो
खुद को लड़की की बाँहों में मुस्कुराता पाया
यह उसके सपनो की लड़की की बाहें थीं
जिन्हें थामकर, वह अपने समय को पार करने की कोशिश में
कभी अपना तो कभी उस लड़की का नाम पुकार रहा था …………….

लड़के ने नज़र उठाकर देखी तो
हैरान था वह कि उसका परिवार वहाँ से नदारद था…

लड़का फिर आज लड़की के साहस और हिम्मत पर गर्व कर रहा था …
मेरे सपनो की रानी।

अब एक नये कसबे में उनका अपना महल बन रहा था ……
_______________________________________________
कंचन

No comments:

Post a Comment