Sunday, June 15, 2014

बच्चे भगवान् का रूप होते हैं
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आज महानगर की एक माँ मिली
कहने लगी कि मेरे बच्चे से
आस-पास के सब लोग
हाय हेलो करते हैं
बोर होते हैं तो उसके साथ
दिल लगाने भी आते हैं
अपने मोबाइल कैमरे से 
उसके साथ फ़ोटो भी खिंचवाते हैं
लेकिन कितना भी जरुरी हो
तब भी बच्चा उनके पास छोड़ नहीं सकते
पहली बात भरोसा ही नहीं किसी का
फिर कर भी लो
तो उनका घर गन्दा हो सकता है
बच्चे के खेलने से
और बच्चे तो शू पॉटी भी जाने लगते हैं
उनके साथ सिर्फ फोटो ही अच्छा लगता है

आज वह दुखी थी कि
कल बच्चे ने होली पर उनकी बालकनी को
अपनी पिचकारी के पानी से गन्दा कर दिया था
तो आज वे खानदान तक को गाली दे रहे थे
और पुलिस बुलाने की धमकी भी दे रहे थे
यह बताते बताते वह हंस पड़ी क्या पुलिस को यही काम है ?

फिर कहने लगी कि बॉस छुट्टी ही नहीं देता
जब बच्चा बीमार होता है
फिर कहने लगी कि
यह टीवी पर जो कार्टून आते हैं
इनका बड़ा सहारा है
बच्चा इन्हें ही अपना समझता है
बोलती ही जा रही थी बिना रुके
कि मुझे तो यह नौकरानियाँ अपनी लगती हैं
इनके भरोसे ही तो मेरा बच्चा पल रहा है
फिर कहती कि एक बात बताओ -ये सरकार
नौकरानियों को ट्रेंनिंग क्यों नहीं देती ?
जिससे ये मेरे बच्चे ठीक से पालें

फिर जोर-जोर से रोने लगी
अचानक पास खड़े अपने बच्चे को
थप्पड़ जड़ दिए और बोली
मैंने कब बच्चा चाहा था ?
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पति तो न तब कुछ बोला
न अब। ....
बच्चे की स्कूल की टीचर भी तो
मुझे ही फोन करती है
पड़ोसिन भी मुझे सुनाती है
आया न आये तो मुझे ही बच्चे के पास
रुकने के लिए छुट्टी लेनी पड़ती है
मेरी प्रमोशन हो ही नहीं पाती
बॉस मुस्कुरा कर कहता
आप बच्चे तो पाल लीजिये पहले। …

वह रो रही थी लगातार
जैसे उसे कोई छील रहा हो बरसों से

मेरे सामने पार्क में
सुन्दर खिलखिलाते बच्चे बॉल खेल रहे थे
बच्चे भगवान का रूप होते हैं.…
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कंचन

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