Saturday, June 15, 2013

तार ...........
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एक तार की गूँज 
झनझनाती है अक्सर ,
उसे भेजा तार ,पहली बार ............

"जल्दी लौटो ,इंतज़ार में हूँ " 
अक्षर-अक्षर मूल्यवान ,
सिर्फ वह भावना अनमोल ------------------

बजते हुए  सितार का एक तार 
झट से टूटा, सुर बिखरे ,  
जब खबर मिली-----
उसका पता बदल जाने की .................

तबले पर कोई टुकड़ा /परन अब भी बज रही है ....द्रुत लय में
अब कोई तार कहीं नहीं जायेगा।
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कंचन 

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