Saturday, August 24, 2013

काल / महाकाल या न्यूज़ काल …… !!!
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हम न्यूज़ काल में जीते हुए मर रहे हैं
हम कारतूस काल को पहचान रहे हैं
हम मर्दानगी के आनंद से लहुलुहान हैं

हमारी भीतरी दीवारों में घुटन है
हमारी भीतरी दीवारें घायल हैं
हमारा ऑपरेशन किया जा रहा है 

हम जिन्दा हैं सिर्फ
चिड़ियों की आवाजों में
मोमबत्तियों की जलती लौ में
चीखते नारों और कलात्मक तस्वीरों में।

आम लड़की ,
छात्रा ,
पत्रकार ,
पुलिस कॉन्स्टेबल ,
…… ………
……………………
…………………………

है कोई नया काल ?
वीरता काल ?
क्या छाया काल ?
रीति काल ? या
न्याय काल ??

या फिर हमारे लिए
सिर्फ काल
महाकाल / न्यूज़ काल
पीड़ा काल !!
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कंचन

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