उसने अपने बाल ढक लिए------
बाल आकर्षित करते हैं
वह अपनी देह को खा खाकर मोटा, बेडौल करने लगी -------
देह के कोण आकर्षित करते हैं
वह अपना मन धार्मिक पुस्तक में बाँधती रहती-------
खुला मन आकर्षित होता है
वह अपनी बेटी के गुलाबी नाख़ून चाकू से खुरचती -------
बदन के रंग लड़की का जीवन बदरंग करते हैं
वह अपनी पलकें रंगने लेती ----------
पलकों पर रेंगते सपने धुंध बन रहे थे
वह अपनी कीलों को नोचती लहूलुहान --------
सलीब पर लटके अपने मन को लिए खड़ी है
उसने मोड़े हैं अपने पाँव सड़क से दूसरी ओर ------
सड़क की राह कहीं तो जाती ही है
वह अपनी नज़र में खुद दीवानी है
दीवानगी से भी खीज़ तो आती है
वह ब्रेन हैमरेज से नहीं मरी मगर
उलटे पाँवो से माइग्रेन तो खनकाती है
वह दरवाजे से आती नहीं
मगर जाती दिखायी देती है
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बाल आकर्षित करते हैं
वह अपनी देह को खा खाकर मोटा, बेडौल करने लगी -------
देह के कोण आकर्षित करते हैं
वह अपना मन धार्मिक पुस्तक में बाँधती रहती-------
खुला मन आकर्षित होता है
वह अपनी बेटी के गुलाबी नाख़ून चाकू से खुरचती -------
बदन के रंग लड़की का जीवन बदरंग करते हैं
वह अपनी पलकें रंगने लेती ----------
पलकों पर रेंगते सपने धुंध बन रहे थे
वह अपनी कीलों को नोचती लहूलुहान --------
सलीब पर लटके अपने मन को लिए खड़ी है
उसने मोड़े हैं अपने पाँव सड़क से दूसरी ओर ------
सड़क की राह कहीं तो जाती ही है
वह अपनी नज़र में खुद दीवानी है
दीवानगी से भी खीज़ तो आती है
वह ब्रेन हैमरेज से नहीं मरी मगर
उलटे पाँवो से माइग्रेन तो खनकाती है
वह दरवाजे से आती नहीं
मगर जाती दिखायी देती है
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