बेगाने शहर में ....!
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क्यों बेगाने शहर में आकर
अपने भी बेगानी रंगत की
चकाचौंध में खो जाते हैं ?
शहर को यूँ ही बदनाम न करो !
इसने अजनबियों को पनाह दी
गुमनामों को कोई पहचान दी
और अजनबियत भी कुर्बान की …
किसी नये शहर की गोद में
मन खरगोश सा क्यों है ?
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कंचन
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क्यों बेगाने शहर में आकर
अपने भी बेगानी रंगत की
चकाचौंध में खो जाते हैं ?
शहर को यूँ ही बदनाम न करो !
इसने अजनबियों को पनाह दी
गुमनामों को कोई पहचान दी
और अजनबियत भी कुर्बान की …
किसी नये शहर की गोद में
मन खरगोश सा क्यों है ?
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कंचन
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