Saturday, April 18, 2015

शिक्षक दिवस पर कुछ यादें !
_________________________
(1 )
" सर ! आपसे कुछ बात करनी है…"
" हाँ ,कहो "
" सर ,मेरे साथ के सभी विद्यार्थी बात कर रहे हैं कि इस बदनाम लेखिका पर काम करोगी तो किसी साक्षात्कार में चयन नहीं होगा। "
" हाँ ,तो साक्षात्कार वाले कहें कि सती हो जाओ तो हो जाना। "
उन्होंने चलते -चलते ही इतनी बात कही और चले गए।
इसके तीसरे दिन मैं उनसे मिली उनके चेम्बर में उसी बदनाम लेखिका के ऊपर बनाई गयी अपनी सिनोप्सिस के साथ।
उसी लेखिका पर किये गए काम के साथ साक्षात्कार भी दिया और उच्चतर शिक्षा आयोग ने प्रवक्ता पद पर चयन भी किया।
आज भी उस एक वाक्य को नहीं भूलती कि "साक्षात्कार वाले कहें कि सती हो जाओ तो हो जाना "....
यह एक अध्यापक की भाषा का एक वाक्य है जिसने मुझे हमेशा के लिए 'साक्षात्कार वालों ' से निडर बना दिया।
(2)
एक विद्यालय में एक अध्यापिका को छात्रा के पिता से कहते सुना कि "अगर इस लड़की का पढ़ने में ध्यान नहीं लगता तो शादी कर दो इसकी।"
(3)
एक अध्यापिका को कहते सुना कि "स्कूल में लड़कियों को एकादशी ,अमावस्या के बारे में बताना चाहिए। आख़िर आगे जाकर उन्हीं को तो घर चलाना है। "
.....और भी है बहुत कुछ , जो लड़कियों की शिक्षा को उनके सामाजिक स्टेटस से जोड़ता है। ………………………

No comments:

Post a Comment