Saturday, April 18, 2015

मलाला यूसुफजई और कैलाश सत्यार्थी को सम्मान मिलने का मतलब है - हर बच्चे को उसका अधिकार , सम्मान और शिक्षा मिलना।(चाहे बच्चा मेरे घर का हो, आपके अपने घर का हो या बाहर का )…
मैं हैरान हूँ कि कुछ ऐसे लोग जो ताली बजा रहे हैं, गौरव प्रदर्शित कर रहे हैं। वे अपने घर के भीतर बच्चों के अधिकारों और सम्मान के प्रति सजगता तनिक भी नहीं दिखा पाते। किसी भी माता -पिता को यह सहज हक़ है कि वह कभी भी अपने बच्चे को पीट सकता है।कोई भी सस्ते होने के कारण कम उम्र के लड़के लड़की को घरेलू नौकर बना लेता है। कोई भी ताकतवर आदमी किसी भी बच्चे का यौन शोषण कर सकता है। न जाने कितने बच्चों की शिक्षा कभी शुरू ही नहीं होती और न जाने कितनों की बंद हो जाती है ? ....
बेहद अफ़सोस है और हैरानी है कि जो अपने घर के बच्चों के लिए ही संवेदनशील नहीं ,वे लोग भी ताली बजाकर अपना गौरव प्रदर्शित कर रहे हैं। जिनके पास अपने बच्चों के साथ संवाद के लिए तनिक समय नहीं और न ही उनकी सुरक्षा की फ़िक्र। फ़िक्र है तो पैसा और प्रसिद्धि पाने की। बाहर के बच्चे ग़रीबी और मज़बूरी के शिकार हैं तो घर के बच्चे भी अकेलेपन और शोषण के शिकार हैं।
मेरी अपील है कि मलाला और कैलाश सत्यार्थी को मिले सम्मान पर ताली बजाते-बजाते अपने घर के बच्चे पर भी एक नज़र डालिये।

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