आसमानी कुर्ता और
धानी चप्पलें पहन लेने पर भी
आसमान और धरती को
अपना मान लेने की गलती
लड़कियां नहीं करतीं। …
सड़कों पर जुलूस,
झंडे और नारे का शोर
लड़कियों को सुरक्षित करेंगे
आँखों देखकर भी लड़कियाँ
इसे सच मान नहीं पातीं। …
'किस ऑफ लव' आंदोलन हो या
'कृष्ण रास लीला' का मंचन हो
लड़कियां खूब जानती हैं
खजुराहो संस्कृति के नेपथ्य का सच। …
मास्टर जी की स्कूली कक्षा हो या
बड़े विश्वविद्यालय का पुस्तकालय हो
लड़कियां जानती हैं
पढ़ाई जा रहीं किताबें रच नहीं पा रहीं
सुरक्षित एहसास का मानस। ....
दहशत को भैरवी के आलाप में
डुबो लेने वाली लड़कियां
अपनी सुरक्षा की घोषणा पर
तत्परता से रच लेतीं हैं अपने लिए
एक नई ताल अपने पांवों तले। …
लड़कियां सीखतीं हैं हर रोज़
लय बदलते ही ताल बदल लेने का हुनर
किताबों और विश्वविद्यालयों के बाबजूद
क्यों शर्मिंदा हो रहे हैं प्रबुद्ध पुरुष ?
आसमान में जड़ी खिड़कियाँ क्यों
जकड़न के श्राप से मुक्त नहीं होतीं ?
और कितने विश्वविद्यालय ?
और कितने पुस्तकालय ?
और कितने बरस लगेंगे तुम्हें
अपनी केंचुल को उतारने में ?
मेरी कक्षा में मेरे साथ बैठने वाले
मेरे साथी , तुम मेरा पहला आश्चर्य !
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धानी चप्पलें पहन लेने पर भी
आसमान और धरती को
अपना मान लेने की गलती
लड़कियां नहीं करतीं। …
सड़कों पर जुलूस,
झंडे और नारे का शोर
लड़कियों को सुरक्षित करेंगे
आँखों देखकर भी लड़कियाँ
इसे सच मान नहीं पातीं। …
'किस ऑफ लव' आंदोलन हो या
'कृष्ण रास लीला' का मंचन हो
लड़कियां खूब जानती हैं
खजुराहो संस्कृति के नेपथ्य का सच। …
मास्टर जी की स्कूली कक्षा हो या
बड़े विश्वविद्यालय का पुस्तकालय हो
लड़कियां जानती हैं
पढ़ाई जा रहीं किताबें रच नहीं पा रहीं
सुरक्षित एहसास का मानस। ....
दहशत को भैरवी के आलाप में
डुबो लेने वाली लड़कियां
अपनी सुरक्षा की घोषणा पर
तत्परता से रच लेतीं हैं अपने लिए
एक नई ताल अपने पांवों तले। …
लड़कियां सीखतीं हैं हर रोज़
लय बदलते ही ताल बदल लेने का हुनर
किताबों और विश्वविद्यालयों के बाबजूद
क्यों शर्मिंदा हो रहे हैं प्रबुद्ध पुरुष ?
आसमान में जड़ी खिड़कियाँ क्यों
जकड़न के श्राप से मुक्त नहीं होतीं ?
और कितने विश्वविद्यालय ?
और कितने पुस्तकालय ?
और कितने बरस लगेंगे तुम्हें
अपनी केंचुल को उतारने में ?
मेरी कक्षा में मेरे साथ बैठने वाले
मेरे साथी , तुम मेरा पहला आश्चर्य !
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