Saturday, April 18, 2015

उन दिनों से पहले कहाँ थी यह समझ कि ज़िंदगी हर वक़्त इम्तहान लिया करती है.…
1 - जून के महीने में जब राजधानी पानी की किल्लत से जूझ रही हो। ऐसे में भले ही आप पॉश कॉलोनी में रहते हों और आपने 'नये मेहमान ' एकांकी पढ़ा हो तब भी क्या फ़र्क़ पड़ेगा आपकी मुश्किल में। अगर ऐसे में कोई मेहमान आपके घर आ जाये। उनके साथ छोटा बच्चा भी हो। तो जब तक पास के मार्केट से बिसलेरी वाटर केन आएगा तब तक भले ही सामने के फ्लैट में पानी के दो टैंक भरे हों और आपके घर एक बूँद भी पानी न हो। तब भी पड़ोसी आपको एक भी बोतल पानी माँगने से भी नहीं देगा क्योंकि उसे नौकरानी से सुबह-सुबह अपने घर का फ़र्श और कपडे धुलवाने हैं। खैर। ....
(माना कि ज़िंदगी इम्तहान लेती है )
2 -जब आप ऑफिस जाने से पहले बच्चे को किसी प्ले स्कूल में छोड़ते हों और अचानक किसी दिन वहाँ पहुँचकर आपको पता चले कि आज वहाँ छुट्टी है। और आपके ऑफिस में आज कोई जरूरी मीटिंग है। परिवार और रिश्तेदार का कोई व्यकित शहर में नहीं है। तब कोई ऐसा दोस्त जिसका बच्चा आपके बच्चे की उम्र का हो। उस वक़्त दोस्त की शक्ल में ईश्वर नज़र आता है। आप बच्चे को दो घंटे के लिए वहाँ छोड़कर मीटिंग करके वापस बच्चे को लेने आ जाते हैं। लौटने पर बच्चा बिना पायजामे के मिलता है। क्योकि बच्चे ने पहना हुआ पायजामा गन्दा कर लिया था। बच्चा भी थोड़ा परेशान मिलता है क्योंकि गाँव में पले हुए बच्चों की तरह कभी भी उसे बिना पायजामे के रहने की उसे आदत नहीं थी। आपको परेशानी हुयी मन में कि दोस्त ने अपने बच्चे का पायजामा या दूसरा डाइपर क्यों नहीं पहना दिया। खैर …
(माना कि ज़िन्दगी इम्तहान लेती है )
3 - जो दिल्ली को जानते हैं उन्हें पता है कि यहाँ नर्सरी में तीन साल के बच्चे के दाखिले के सामने तीस साल के अनुभव और सारी पढ़ाई लिखाई गयी तेल लेने। आप सिर नीचे करके उल्टा नाचने को तैयार रहते हैं। मतलब यह कि स्कूल वाले केवल एक घण्टे का समय देकर कोई भी नया कागज़ लाने को कह दे , तो आप उससे बिना बहस किये सीधे कागज़ लाने की जुगाड़ में निकल जायेंगे। आपके साथ तीन साल का बच्चा गाड़ी में बैठे -बैठे सो गया हो। और आपकी घरेलू नौकरानी भी छुट्टी पर गयी हो। तब आप पुराने कटु अनुभव के बाबजूद बच्चे को किसी ऐसे दोस्त के घर एक घंटे के लिए छोड़ देंगे जो आपके बच्चे को खूब पसंद करता हो और उसे क्यूट - क्यूट कहकर उसके खूब फोटो खींचता हो। जब आपने स्कूल का माँगा कागज़ जमा करके बच्चे का नर्सरी दाखिला लेकर विजय भाव के साथ दोस्त के घर थैंकफुल पहुंचे अपने बच्चे को लेने ;तो दरवाजा खोलते ही दोस्त ने दरवाजे पर ही बच्चे को दे दिया और उसकी पॉटी शु पर आपको एहसान तले रौंद डाला। खैर.... (माना कि ज़िन्दगी इम्तहान लेती है )
4 - किसी बोर हो रहे अकेले रहने वाले मित्र ने आपको शाम मज़े से बिताने के लिए अपने घर बुलाया हो और बात -बात में उससे कोई हल्का -फुल्का कोई छोटा सा फेवर आपने अपने लिए उससे कह दिया हो। ऐसे में मित्र उस काम के लिए मना करने की बजाय सीधे आपको अपने घर से चले जाने को कह दे। यह ख्याल भी न रखे कि उसने खुद ही तो बुलाया था शाम मज़े से गुजरने के लिए। तो आपको उठकर चले आने और पूरी स्थिति समझ पाने में कितनी भी मुश्किल हो सकती है। क्योंकि आपने तो उसको दोस्त समझकर ही कुछ उम्मीद कर ली थी। खैर…
(माना कि ज़िन्दगी इम्तहान लेती है )
घरों में अक्सर बच्चे स्कूल से रटाया हुआ गाना दोहराते हैं -बोली कोयल मीठे बोल
देती कानों में रस घोल
हम बच्चे भी मीठा बोलें
सबके कानों में रस घोलें
इससे कितना सुख पायेंगे
सबके प्यारे बन जायेंगे।
सबके प्यारे बन जाने का स्वप्न जिस ज़ुबान में बच्चे सीख रहे हैं। उनके पाठ ज़िंदगी के अनुभवों में उतरकर कहाँ फलीभूत होंगें , जब वे ज़िन्दगी के इम्तहानों से गुजरेंगे ?
(बंद मुँह से बोलते हुए )

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