हमारी मासूम लड़कियाँ क्या जाने ,
कौन मलाला ?
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उसकी उम्र 17 साल है । वह दिखने में बहुत सुन्दर मासूम है ।
बालों को सजाने का तरीका और
मुस्कुराने का हसीन अंदाज़ उसे खूब पता है।
वह जब जी चाहे घर पर भरपूर नींद सोती है।
वह खूब जी भरकर कार्टून देखती है।
उसे मैग्गी पकाना खाना खूब आता है।
कौन मलाला ?
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उसकी उम्र 17 साल है । वह दिखने में बहुत सुन्दर मासूम है ।
बालों को सजाने का तरीका और
मुस्कुराने का हसीन अंदाज़ उसे खूब पता है।
वह जब जी चाहे घर पर भरपूर नींद सोती है।
वह खूब जी भरकर कार्टून देखती है।
उसे मैग्गी पकाना खाना खूब आता है।
उसे कहाँ मालुम किसी मलाला (16 ) के बारे में ?
उसे किसने बताया दुनिया भर की लड़कियों के किसी अधिकार के बारे में ?
उसे कहाँ पता कि उसे क्या-क्या नहीं पता अपने बारे में ?
उसके भीतर क्यों उठे कोई आग
कि उसे मरने से पहले बोलना है
भले ही उसने वज़ूद के बंकरों पर
आग बरसाते बम फटते देखे हों
कि उसे मरने से पहले बोलना है
भले ही उसकी आवाज़ कोई न सुने
उसने जाना है कि बोलने वाली लड़कियाँ
बुरी और बदनाम मानी जाती हैं और
ज्यादा जानने पर जान को भी खतरा है
वह नादाँ बने रहने की अदाएं जानती है
ज़िंदा रहने की ख़ातिर नादाँ चेहरा लिए
मासूम अदाओं के लिबास में लिपटी लड़की
हमारी मलाला है क्या ....?
जो पढ़ने के लिए लड़ती नहीं
जो मरने से पहले बोलने की जिद नहीं रखती
जो गोलियों से बहुत दूर गुड़िया और कार्टून के खेल
और मैग्गी के स्वाद लिए सोलहवें साल की भरपूर नींद सोती है।
न जाने कितनी मासूमाऐं हमेशा जीने की ख़ातिर
कभी नहीं बोलती और भरपूर सोयी नींद में रहकर
लज़ीज स्वाद और खूबसूरत अदाओं में जिन्दा हैं।
हमारी मासूम लड़कियाँ क्या जाने
कौन मलाला ?
कैसे बनती मलाला ?
जो बच्चों की खातिर लड़ती हो
जिसने चार सौ विद्यालयों को
खाक में जलते देखा हो
जिसने पढ़ने जाती लड़की का
पढ़ाई करने का हक़ छिनते देखा हो
जो भाइयों के ख़िलाफ़ बोलने उठ खड़ी हो।
मलाला और फूलनदेवी में फ़र्क़ पर बातचीत किन पाठों में होगी
कौन चाहेगा इनके बारे में मासूम लड़कियों को बताना
कौन रखना चाहता अपने घर में
एक मलाला ,एक फूलनदेवी !
कोई क्यों चाहेगा मलाला जैसी बहन ,बेटी
या फूलनदेवी जैसी पत्नी या माँ !!
(भले ही पढ़ने के हक़ बहनो के छीने गए हों भाइयों की खातिर
और पतियों ने सालों तक घर में कैद पत्नी के किये बलात्कार)
सब जग नौ देवियों की आस्था से जगमग है
कानों में देवी के छंदों का संगीत रोज़ बज रहा है !
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उसे किसने बताया दुनिया भर की लड़कियों के किसी अधिकार के बारे में ?
उसे कहाँ पता कि उसे क्या-क्या नहीं पता अपने बारे में ?
उसके भीतर क्यों उठे कोई आग
कि उसे मरने से पहले बोलना है
भले ही उसने वज़ूद के बंकरों पर
आग बरसाते बम फटते देखे हों
कि उसे मरने से पहले बोलना है
भले ही उसकी आवाज़ कोई न सुने
उसने जाना है कि बोलने वाली लड़कियाँ
बुरी और बदनाम मानी जाती हैं और
ज्यादा जानने पर जान को भी खतरा है
वह नादाँ बने रहने की अदाएं जानती है
ज़िंदा रहने की ख़ातिर नादाँ चेहरा लिए
मासूम अदाओं के लिबास में लिपटी लड़की
हमारी मलाला है क्या ....?
जो पढ़ने के लिए लड़ती नहीं
जो मरने से पहले बोलने की जिद नहीं रखती
जो गोलियों से बहुत दूर गुड़िया और कार्टून के खेल
और मैग्गी के स्वाद लिए सोलहवें साल की भरपूर नींद सोती है।
न जाने कितनी मासूमाऐं हमेशा जीने की ख़ातिर
कभी नहीं बोलती और भरपूर सोयी नींद में रहकर
लज़ीज स्वाद और खूबसूरत अदाओं में जिन्दा हैं।
हमारी मासूम लड़कियाँ क्या जाने
कौन मलाला ?
कैसे बनती मलाला ?
जो बच्चों की खातिर लड़ती हो
जिसने चार सौ विद्यालयों को
खाक में जलते देखा हो
जिसने पढ़ने जाती लड़की का
पढ़ाई करने का हक़ छिनते देखा हो
जो भाइयों के ख़िलाफ़ बोलने उठ खड़ी हो।
मलाला और फूलनदेवी में फ़र्क़ पर बातचीत किन पाठों में होगी
कौन चाहेगा इनके बारे में मासूम लड़कियों को बताना
कौन रखना चाहता अपने घर में
एक मलाला ,एक फूलनदेवी !
कोई क्यों चाहेगा मलाला जैसी बहन ,बेटी
या फूलनदेवी जैसी पत्नी या माँ !!
(भले ही पढ़ने के हक़ बहनो के छीने गए हों भाइयों की खातिर
और पतियों ने सालों तक घर में कैद पत्नी के किये बलात्कार)
सब जग नौ देवियों की आस्था से जगमग है
कानों में देवी के छंदों का संगीत रोज़ बज रहा है !
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