Saturday, April 18, 2015

    लड़का लड़की से बात करना चाहता है!
    तो कैसे करे ?
    समाज में जो तरीके फिल्मों और
    किताबों से सीखे वे तो आज के समाज में
    पिटे हुए और भद्दे माने हैं !
    फिर भी लड़का एक तरीका चुन लेता है
    लड़की के सौंदर्य की प्रशंसा करने का अभ्यास करके आता है
    उम्दा लफ़्फ़ाज़ी और बेहतरीन अदायगी की पुरजोर कोशिश करके
    जैसे ही एक खूबसूरत मुस्कान की उम्मीद करता है कि
    लड़की उसकी कलाई मोड़ती और
    बेल्ट निकालकर पीटती नज़र आती है
    जागरूक समाज की बहादुर पब्लिक
    उस लड़की का साथ देने लगती है
    पिटते -पिटते लड़का बेहोश हो जाता है
    पुलिस और डॉक्टर के मुताबिक लड़के को जब भी होश आता है
    वह एक ही बात बोलता है -
    ''तुम्हारा खूबसूरत चेहरा मेरी आँखों को बहुत हसीं लगता है ''।
    उसके मरने पर
    उसकी माँ की बोली गयी बात
    कई बार टी.वी. पर दिखाई गयी-
    '' वह पिछले कई दिनों से अक्सर पूछता था कि
    माँ तुम्हे बहुत अच्छा लगता है न जब कोई
    तुम्हे खूबसूरत कहता है ....
    और मुन्ना कई बार कहता था फिर
    ''माँ तुम बहुत सुन्दर हो "…
    फिर मैं आइने के सामने खड़ी होती ,
    उससे नज़रें चुराकर मुस्कुराती और
    वह फिर खूब हँसता था। .... ''
    हंसी की बातें करती माँ
    अपने मुन्ने को याद करके खूब जोर से रोने लगती।
    मीडिया अब उस लड़की की तस्वीर
    दिखाने में मशगूल हो जाता जो
    अज़नबी से सुन्दरता की बात को
    छेड़ना मानकर सबक सिखाती है।
    बहसें गर्म हो रही थीं अपने -अपने अंदाज़ में ……
    लड़की कहाँ से सुन्दर है ?
    सुन्दर को सुन्दर कहने में क्या बुराई हो गयी ?
    लड़की को सुन्दर क्यों नहीं होना चाहिए ?
    पाँच से पचहत्तर उम्र की औरत भी
    सुन्दर कहने से खुश हो जाती है
    भला लड़के की जान ले ली
    'सुंदरता' के मानदंड ने।
    चूड़ी ,बिंदी,लिपिस्टिक ,क्रीम
    न जाने कितने विज्ञापनों से
    होर्डिंग्स और अख़बार भरे रहते हैं
    साहित्य और कला की दुकानें
    नखशिख रूप वर्णन से लकदक हैं
    पहले 'ब्यूटी' था फिर
    'ब्यूटी विद ब्रेन' हो गया
    इतना काफी नहीं क्या ?
    क्या सिर्फ़ * ब्रेन * लिख दें ?
    तो सब सेल्फ़ी तस्वीरें हटाओ पहले
    तो पहले रीतिकाल के सौंदर्य को निकालो मुख्यधारा से
    तो तमाम हुस्न की शायरी पर मुक़दमा चलाओ
    तो चित्रकार की कला क्या करेगी ?
    भाषा पर जान लेने वालों ने
    डेली वेळी का क्या कर लिया या
    क्या कर लेंगे उस नए शो का
    जिसमें सेलिब्रिटीज हदें पार कर रहे हैं
    हद क्या है
    कौन बताएगा
    डॉक्टर का हुनर क्या इससे खूबसूरत होगा कि
    लेडी डॉक्टर खुद कितनी खूबसूरत है ?
    लेकिन अनुभवी कहते हैं कि
    खूबसूरत लेडी डॉक्टर की दुकान ज्यादा चलती है !
    खूबसूरत अध्यापिका पॉपुलर होती है
    स्टाइलिश अध्यापक भी ....
    क्या सचमुच … ???
    पाँच साल की बच्ची से मुख़ातिब होते ही
    उसकी ड्रेस और हेयर क्लिप की बात लोग शुरू कर देते हैं
    बच्चे का ध्यान उधर जाने लगता है
    जिन बातों का उसे माहौल दिया जाता है।
    सब कुछ फ्रेम बनाकर सेट है
    लड़का भी बने हुए फ्रेम में से एक चुन लेता है
    और मारा जाता है
    पचपन का आदमी भी रिकॉर्डिंग में इसी का शिकार बन गया
    पचास की माँ भी रोती है बेटे को याद करके ....
    बेल्ट वाली लड़की ने अपने फ्रेम
    खुद रचने शुरू कर दिए हैं
    चेतावनी !
    बने बनाये परंपरा से चुने फ्रेम उठा लेने पर
    जान जोखिम में पड़ सकती है
    अब लड़कियाँ बेल्ट निकल लेती हैं
    पब्लिक भी साथ दे देती है
    कैमरा रिकॉर्डिंग कर लेता है
    परम्परा कूड़े में डाली जा सकती है
    लड़के जान नहीं गँवाना चाहते हैं
    वे नई परम्परा में नई लड़कियों का साथ दे रहे हैं
    छोटी बच्ची गाती है
    नन्ही मुन्नी राही मैं भी
    देश की सिपाही मैं भी !!
    होर्डिंग्स पर चेहरे बदलने लगे
    कभी मदर टेरेसा का चेहरा आता
    तो कभी सुनीता विलियम्स का
    तो कभी सेना की यूनिफार्म पहने परेड करती लड़की का।
    उनका कर्म उनका सौंदर्य है।
    अपनी नज़र का चश्मा नहीं नज़र बदलो
    लड़कियाँ शर्मिंदा होने की जगह
    बेल्ट और कैमरा निकल लेती हैं।
    नज़रिया बदल रहा है
    परम्परा नई बन रही है।
    ____________________________
    KANCHAN
  • Richa Singh Sahi hai di... kai bar sach mein ye antar karna mushkil ho jata hai ki kaun aapki prashansha karna chah raha hai aur kaun aapko parensha karna chah raha hai. Sab kuch babut complex hota ja raha hai.
  • Meera Gupta Han sahi hai kanchan lekin yeh samaj aur khastor se bhartiya samaj hamesha do chehare wala hai proressive bhi aur prampara se labalab bhi. Pragatisheel hona fashion hai aur conventional hona hamari sanskritic virasat. Donon mein koi talmale nahin hai.
  • Kanchan Bhardwaj मैं उनकी तरफ देख रही हूँ जो सृजन और कला से सरोकार रखते हैं
    जो नए फ्रेम रच देने की जिम्मेदारी से जूझते रहने का गर्व /दम्भ रखते हैं
    लेकिन मारा जाता है वह जो परम्परा को निभाता है
    ...See More
  • Meera Gupta Srijan hamare desh main parampara ka hissa hai. Aur yahi baat hamain star to bana deti hai kalakar nahin.

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