Saturday, April 18, 2015

कहाँ चले गए सब सपनों के सौदागर … ?
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कार्यस्थल पर किसी सहकर्मी ने धोखा दिया ,
किसी अधिकारी ने शोषण किया और उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुयी ,
प्रेमी/प्रेमिका ने बेवफाई की ,
पति/पत्नी ने विवाह के कई सालों बाद पुरानी प्रेमिका /प्रेमी से संबंध नए कर लिए ,
या और भी कई कारण यहाँ रख लीजिये जिनके कारण आपके जीवन में प्रेम और कैरियर का बड़ा सपना टूट जाये ....
तो बस आप अपनी जान ले लीजिये…?
क्या है यह महान कृत्य /मूर्खता ?
निराशा ? या कमजोरी ?
सपना टूट गया तो क्या दोबारा नहीं बन सकता ?
क्या फिर से अच्छी परिस्थितियों का इंतज़ार संभव नहीं ?
प्रेम में बेवफाई मिल भी गयी अगर तो किसी नए ख्याल का फिर से उठ खड़ा होना संभव नहीं क्या ?

आपकी जान किसी को जान दे पाये इसकी कोशिश में जिन्दा रहकर देख लीजिये। …
फिर से नया ख्याल बना लीजिये। …
नए सपने बना लीजिये। ....
सपनो के सौदागर सब कहाँ चले गए ?
क्या सब के सब राजनीतिक गलियारों में हाथ बाँधे खड़े हैं ?
प्रेमचंद तो बहुत पहले अपने उपन्यास में अंधे पात्र सूरदास के मुँह से भी कहलवा रहे थे कि अगर वे सौ लाख बार हमारा घर गिराएंगे तो हम सौ लाख बार भी फिर से बनायेंगे।

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