Saturday, April 18, 2015

कल ही तो अखबार में पढ़ा था कि मशहूर लेखक कैलाश बाजपेयी को मुखाग्नि उनकी बेटी अनन्या ने दी। और आज यह ख़बर कि माँ को मुखाग्नि देने के कारण भाई ने बहन की हत्या कर दी। जबकि बहन गाँव में सरपंच थी। यह साहस करने और मौत से गुज़र जाती स्त्रियों को सलाम करने का समय है। स्त्रियों के लिए यह बेहद मुश्किल दौर है। … केवल स्त्रियों की जागृति और चेतना से समस्या हल नहीं होगी ,चेतना और जागृति समाज की आवश्यकता हैं। जो हत्या करता है वह केवल एक दिन में हत्यारा नहीं बनता उसकी मानसिक बुनावट सदियों पुरानी है। जिसका एक भी धागा खोलने की कल्पना तक से लोग हिचकिचाते हैं। लोगों से बातचीत और निजी स्तर पर हर एक की शुरुआत के साथ यह प्रशासन का भी मामला है। कोई डर नहीं किसी को कानून का। सरेआम दिनदहाड़े कोई भी हत्या कर देता है ? कितना शर्मनाक है !… उफ़्फ़ ! मरती रहेंगी औरतें जब तक धरती खाली न हो जाये या मारने वाले थक न जाएं।

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