Saturday, April 18, 2015

अगर मैं अपने समय के असह्य काले धब्बों को
अपने चेहरे पर स्वीकार न करूँ ; तो
यह मेरे लिए आत्मघाती कदम होगा ?
या एक तरह से आत्महत्या का प्रयास !!
यक़ीनन कोई न कोई ,कहीं न कहीं से
मुझे मार डालने की योजना बना रहा होगा
मेरे मारे जाने की जगह कोई एक तय नहीं
यह कोई भी एक देश ,कोई एक शहर
यहां तक कि अपना घर भी हो सकता है।
सिर्फ़ मेरे विचारों के कारण
कोई भी मुझे ब्लॉक कर सकता है
मेरी सांसों को रोक सकता है
मेरे खुले मन की उन्मुक्त अस्वीकृति ही
मेरा आत्मघाती कदम है या आत्महत्या !
अपनी -अपनी किताबों के खूबसूरत कवर को
निहारे जाने का समय नहीं है अब ,
अगर लाल ख़ून ,नीली स्याही और काले समय को
चीन्हे जाने का समय नही है यह ?
तो क्या अपनी मृत्यु के जश्न का संगीत है यह
जो चारों ओर से एक गूँज बनकर मुझे ढक रहा है !
मैं अपने चेहरे की ख़ातिर
लहूलुहान हूँ
एक बेदाग आईने की तलाश में।
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